सीख और तालीम पाने बचपन से स्कूल कॉलेज जाता रहा,
लेकिन कितना कुछ तो इस शहर की बरसात ने चंद घंटों में ही सिखा दिया।
जोखिम में डाल दे ऐसी बारिश हो रही थी,
और कुछ लोग अपनी छत को छोड़कर,
छातों में छिपकर घर से बाहर निकल रहे थे।
वही छत, जिसमें सुकून से जीने के लिए,
वें हर दिन अपने आंसू निगल रहे थे।
रोज़ कामयाबी के पीछे भागने वालों को देखता हूं,
वें आंसुओं को छिपाए जब अपनों से दूर जाते हैं,
उनके उस पछतावे को अच्छी तरह समझता हूं।
कोई अपने आंसुओं की ओर नज़र नहीं करता,
तो कोई उन अपनों की सही कद्र नहीं करता।
सुना था कि जोड़ियां ऊपरवाला बनाता है… सच है।
उसने तेरा निकाह इस दुनिया से किया है इस ज़मीन पर ही जी…
मत आ लालच में उस उड़ते हुए परिंदे को देखकर मेरे दोस्त,
दाने पानी की तलाश में परिंदे भी ज़मीन पर ही आया करते हैं।
वो कहते हैं कि शिखर की चोटी पर मिलती है कामयाबी;
पर मत रख उस कामयाबी की लालच मेरे दोस्त…
कामयाबी वोह महंगी तवायफ है,
जो तुझे कभी चैन से बैठने तक नहीं देगी,
जो उस ऊंचाई के बिस्तर से तुझे ढकेलकर किसी भी वक़्त किसी और की हो लेगी।
कामयाबी और शोहरत हासिल करने में मज़ा सिर्फ तब आएगा,
जब उसकी खुशी में हसने रोने के लिए तू किसीका साथ पाएगा।
कामयाबी के नशे में तूने कुछ लोगों का दिल तोड़ा होगा शायद,
लेकिन कोई तो हो, जिनके हातों की उंगलियां तू तेरी उंगलियों के बीच पाएगा!
फिर भी अगर तू तेरी ज़मीन, तेरे अपनों को छोड़कर जाना चाहता है तो जा!
उस शोहरत को चूमने से तुझे कोई नहीं रोकेगा…
पर जिस दिन इस मिट्टी में मिलने का दिन आएगा,
उस दिन चार कांधे खरीदने के लिए भी तू शायद ज़िंदा नहीं रह पाएगा!
… ज़िंदा नहीं रह पाएगा!
… ज़िंदा नहीं रह पाएगा!